Tuesday, August 25, 2009

पहले अँगरेज़ थे अब ये हैं

सुना था अँगरेज़ बहुत क्रूर थे, कुछ पुराने लोग जो कुछ लिख गए उससे तो यही जान पड़ता है की अँगरेज़ बेगुनाह लोगो का हक़ छीन कर, भारत से लूट कर महारानी विक्टोरिया का खज़ाना भरते थे. जो लोग आज़ादी चाहते थे उनको सरे आम बंदूक की गोली से उड़ा देते थे.
अंगरेजों ने कितना लूटा और कितनो को मारा इसका सही सही हिसाब आज तक पता नहीं चला. लेकिन अंगरेजों के भारत छोड़ने के बाद इस देश के महान देशवासिओं ने कितना लूटा और कितनों को मारा इसका हिसाब ज़रूर है.
(आज इस लेख में मैं "हिंदुस्तान " में प्रकाशित समाचार को भी शामिल कर रहा हूँ कृपया उपरोक्त आंकडे पढ़ें )
15 अगस्त 1947 से आजाद होने के बाद से हमारे देश के नेताओं और उच्च पदस्थ अधिकारिओं ने आज तक क लाख करोड़ रुपये की काली कमाई लूट कर देश से बाहर विदेशी बैंकों में जमा कर रखी है. यह रकम दिन प्रति दिन बढाती ही जा रही है.

कौन है ज्यादा बड़ा लुटेरा ? अँगरेज़ या हमारे आजाद भारत के उच्च पदस्थ नागरिक ?
आज़ादी के बाद देश के जिम्मेदार लोगों ने जितने बेगुनाह लोगों का क़त्ल फर्जी मुठभेड़ों और जान बूझ कर कराये गए दंगों में किया उतना तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया था.
यदि अंग्रेजों को इस लिए भारत छोड़ने को विवश किया गया की वो अत्याचारी थे, लुटेरे थे, खूनी थे, हमारी आज़ादी और लोकतंत्र के दुश्मन थे, तो फिर उन उच्च पदस्थ जिम्मेदार लोगों का क्या करना चाहिए जिन्होंने अत्याचार, लूट, हत्या, अलोकतांत्रिक कामों में उन अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया है जिनको भागने का जश्न हम प्रत्येक 15 अगस्त को मनाते हैं ?

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