पैसे का ढेर लगाने की चाहत में लोगों ने जीना छोड़ दिया,
आज लाख है लेकिन कल के करोड़ के चक्कर में अपनी साँसों को महसूस करने की काबिलियत खो दी.
जिंदगी की सैर किसी महल की मुहताज नहीं,
गोलगप्पे ठेले वाले के अच्छे लगते हैं किसी शापिंग माल के नहीं,
जिंदगी की तस्वीर थोड़े से रंगों से बनती है,
महंगे फ्रेम से नहीं.
महंगे पेंट और ब्रश खरीद कर खुद को कलाकर बताते हैं,
एक कलाकार कीचड़ में भी अक्स बना जाता है.
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